Shri krishna janmashtami 2020 जन्माष्टमी के त्योहार को भगवान श्रीकृष्ण के Birthday के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार पूरी भारत में पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ हिंदू धर्म के लोग मनाते है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी को india में ही नहीं, but foreign में बसे indian भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। श्रीकृष्ण युगों-युगों से हमारी आस्था के केंद्र रहे हैं। वे कभी यशोदा मैया के लाल होते हैं, तो कभी ब्रज के नटखट कान्हा।
● जन्माष्टमी कब और क्यों मनाई जाती है : -(Why and when celebrate Shri krishna janmashtami 2020)
GOD श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के Birthday के रूप में मनाया जाता है, जो रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
कान्हा देवकी और वासुदेव के 8वें पुत्र थे। मथुरा नगरी का राजा कंस था, कंस माता देवकी का सगा भाई था और प्रभु श्रीकृष्ण का मामा था जो की बहुत ही अत्याचारी एवं दुष्ट राक्षस था।उसके अत्याचार दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे थे। एक समय आकाशवाणी हुई कि उसकी बहन देवकी का 8वां पुत्र उसका वध करेगा। यह सुनकर कंस ने अपनी बहन देवकी को उसके पति वासुदेव के साथ काल-कोठारी में डाल दिया। कंस ने अपने मृत्यू से बचने के लिए माता देवकी के 7 बच्चों को मार डाला। माता देवकी ने 8वे पुत्र के रूप मे श्रीकृष्ण को जन्म दिया, तब भगवान विष्णु ने वासुदेव को आदेश दिया कि वे श्रीकृष्ण को गोकुल में यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा आएं, जहां वह अपने मामा कंस से सुरक्षित रह सकेगा । श्रीकृष्ण का पालन-पोषण यशोदा माता और नंद बाबा की देखरेख में हुआ। बस, उनके जन्म की खुशी में तभी से प्रतिवर्ष जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है।
●तैयारियां : -Preparations
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन मंदिरों को खासतौर पर सजाया जाता है। जन्माष्टमी पर पूरे दिन व्रत/उपवास रखा जाता है।जनमाष्टमी पर सभी भक्त रात्रि 12 बजे तक व्रत रखते हैं क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म ठीक रात्रि 12बजे हुआ था । इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं और भगवान श्रीकृष्ण को झूला झुलाया जाता है और रासलीला का आयोजन होता है।
●दही-हांडी/मटकी फोड़ प्रतियोगिता : -Pitcher bursting competition
जन्माष्टमी के दिन देश में अनेक जगह दही-हांडी प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में सभी जगह के बाल-गोविंदा भाग लेते हैं। छाछ-दही आदि से भरी एक मटकी रस्सी की सहायता से आसमान में लटका दी जाती है और बाल-गोविंदाओं द्वारा मटकी फोड़ने का प्रयास किया जाता है। दही-हांडी प्रतियोगिता में विजेता टीम को उचित इनाम दिए जाते हैं। जो विजेता टीम मटकी फोड़ने में सफल हो जाती है वह इनाम का हकदार होती है।
● उपसंहार: – Postscript
जन्माष्टमी के दिन व्रत रखने का विधान है। अपनी सामर्थ्य के अनुसार फलाहार करना चाहिए। कोई भी भगवान हमें भूखा रहने के लिए नहीं कहता इसलिए अपनी श्रद्धा अनुसार व्रत करें। पूरे दिन व्रत में कुछ भी न खाने से आपके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। इसीलिए हमें श्रीकृष्ण के संदेशों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।
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