हिंदी साहित्य महत्वपूर्ण तथ्य
- हिंदी विषय में साहित्य इतिहास लेखन की परंपरा किसने शुरू की– गार्सा-द-तासी
- आचार्य हज़ारी प्रसाद द्विवेदी किस प्रकार के इतिहास लेखक हैं– परम्परावादी
- ग्रियर्सन के इतिहास ग्रन्थ का अनुवाद किसने किया – डॉ किशोरीलाल गुप्त, हिंदी साहित्य का इतिहास, 1957
- हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रन्थ का नाम – इस्तवार-द-ला लितरेत्यूर इंदुए एन्दुस्तानी, 1839, फ्रेंच भाषा में
- हिन्दी साहित्येतिहास को वैज्ञानिक पद्धति पर सुव्यवस्थित रूप देकर प्रस्तुत करने का श्रेय– जार्ज अब्राहम ग्रियर्सन, 1888, अंग्रेजी में, द मार्डन वर्नाक्यूलर लिटरेचर ऑफ हिंदुस्तान
- डॉ नामवर सिंह ने किस इतिहास ग्रन्थ को पंचांग घोषित किया है– मिश्रबन्धु विनोद
- किस ग्रन्थ लेखक के लिए शुक्ल जी की स्वीकारोक्ति है कि “कवियों का परिचयात्मक विवरण मैंने मिश्रबन्धु विनोद से लिया है” – मिश्र बन्धु
- “यह हिंदी साहित्य की नींव का वह पत्थर है, जिस पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपने सुप्रसिद्ध इतिहास का भव्य भवन निर्मित किया। इस इतिहास ग्रन्थ का ऐतिहासिक महत्व है” कथन किसका है– डॉ किशोरीलाल गुप्त
- यह कथन किस विद्वान का है कि “शुक्ल जी को इतिहास पंचांग के रूप में प्राप्त हुआ था। उसे उन्होंने मानवीय चेतना से अनुप्राणित कर साहित्य बना दिया” – डॉ नामवर सिंह
- किसके अनुसार शुक्ल जी का इतिहास “अनुपात की दृष्टि से, उसका स्वल्पांश ही प्रवृत्ति निरूपणपरक है, अधिकांश विवरण प्रधान है”-–नलिन विलोचन शर्मा
- प्रथम इतिहास ग्रन्थ का अनुवाद किसने किया – डॉ लक्ष्मी सागर वार्ष्णेय, 1952, हिन्दुई साहित्य का इतिहास
- मिश्रबन्धु विनोद कितने भागों में विभक्त है- 4 भाग, 8 से अधिक कालखण्ड
- हिंदी साहित्य का प्रथम सुव्यस्थित इतिहास ग्रन्थ है– हिंदी साहित्य का इतिहास, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, 1929