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मानव जीवन की शुरुआत
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मानव जीवन की शुरुआत |
क्या आपने कभी सोचा है हम मानव जाति की उत्पत्ति के बारे में ,नहीं न तो में आपको बता दू , हम मानव जाति की उत्पत्ति पृथ्वी पर लगभग 2 करोड़ साल पहले ही हुयी थी। तब इंसानो का रंग रूप ही अलग था।
पाषाण काल
पाषाण का मतलब पत्थर ,तथा काल का मतलब समय ,यानि पत्थरो का समय । इस काल में मानव पत्थरो पर ज्यादा निर्भर थे,तथा पत्थरो को ही गुफा बनाकर उसमें रहते थे। इसलिए इस युग को पाषाण काल कहा गया। इस काल के मानव शिकार करके कच्चे मांस ही खाते थे।
2.मध्यपाषाण काल
3.नवपाषाण काल
पुरापाषाण काल( 25 लाख साल से 12000 साल पूर्व तक)
इस काल में मानव खुले आकाश के नीचे,नदियों के किनारे या किसी झील के पास रहते थे। इससे उनको शिकार करने में काफी आसानी रहती थी। ज्यादातर जानवर पानी पीने नदियों के किनारे या झील के पास ही जाते थे। तथा मानव पत्थरो से ही उनका शिकार करते थे।
कैसे करते थे शिकार
पुरापाषाण काल के आदिमानव के पास न ही कोई सींग ,न ही नुकीले दाँत और न ही जंगली जानवरों के जैसे मजबूत नुकीले नाखून।आदिमानव के पास सबसे बड़ी समस्या रहती थी अपने से ताकतवर जानवरो का शिकार करना ,तथा उनसे अपनी रक्षा करना। उनको पर बहुत आसानी से पत्थर मिल जाते थे, इसलिए इन्होंने पत्थरो को ही अपना हथियार बनाया।
आदिमानव पत्थरो को औजार बनाने के लिए एक पत्थर से दूसरे पत्थर पर चोट मारते थे। जब एक पत्थर दूसरे पत्थर से टकराती थी, तब चिंगारी निकलती थी। निकलने वाली इसी चिंगारी से उन्हें आग का ज्ञान हुआ।
मध्यपाषाण काल (12000 साल से 10000 साल पूर्व तक)
इस काल के मानव थोड़ा विकसित हो गए थे। इस काल को लघुपाषाण काल भी कहते है।इस काल के औजार पुरापाषाण काल के औजार से छोटे तथा नुकीले रहते थे।इस समय प्रकृति में काफी परिवर्तन हुए जिनका मानव जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा।
जलवायु गर्म होने लगे थे। जहाँ पहले बर्फ पड़े थे वह की बर्फ धीरे-धीरे पिघलने लगी थी। हमारे पृथ्वी के उर्बरक शक्ति का विकास हुआ। काफी घास और बनस्पतियों का निर्माण हुआ। घास खाने वाले छोटे-मोटे जानवर खरगोश,भेड़,बकड़ी,आदि की उत्पत्ति हुई।
आखिर कैसे हुआ खेती का ज्ञान
पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि मध्यपाषाण काल के मानव अनाजो को इकट्ठा कर रहे होंगे, तभी आनाज के दाने इधर-उधर गिरे होंगे। जहाँ पर आनाज के दाने गिरे होंगे वहाँ पर फिर से वही आनाज उगे होंगे।और उस आनाज को मानव देखे होंगे, और उनको समझ आ गया होगा कि, इन आनाज के दानों से बार-बार आनाज उगाया जा सकता है।तब जा कर उनको खेती का भी ज्ञान हुआ।
नवपाषाण काल
इस काल के मानव काफी विकसित हो चुके थे। मानव खेती करना अच्छी तरह से सीख गया था। खेती करने के कारण अब मानव भोजन संग्राहक से भोजन उत्पादक हो गया था। इस काल के हथियार काफी सुडैल रहते थे।कुल्हाड़ी तथा हँसिया इस समय के प्रसिद्ध हथियार थे। इस काल में खेती के साथ पशु पालन भी होने लगा था। ये लोग पशुओं को दूध तथा मांस के लिए पालते थे।
कुछ समय बाद इनकी संख्या में इजाफा हुआ और ये गांव बनाकर रहने लगे।
अब ये काफी कुछ सीख चुके ,जैसे मिटटी के बर्तनों को बनाना तथा उस पर चित्रकारी करना ,सामान ढोने के लिए लकड़ी का गाड़ी बनाना आदि।
ये लोग जानवरो के खाल को कपडे के रूप में प्रयोग करने लगे।
इस काल के अंत होते- होते ये मानव धातुओ को पिघलना उसका आभूषण बनाना भी सीख गये थे।