पृथ्वी {Earth}
ग्रह का नाम–पृथ्वी।
- उम्र-4600000000(चार अरब साठ करोड़)
- सूर्य से दूरी-151.14मिलियन किलोमीटर।
- चंद्रमा से दूरी-384400 किलोमीटर।
- शनि से दूरी-1.3726बिलियन किलोमीटर।
- शुक्र से दूरी-122.58मिलियन किलोमीटर।
- बुध से दूरी-203.45मिलियन किलोमीटर।
- मंगल से दूरी-78.17मिलियन किलोमीटर।
- बृहस्पति से दूरी-657.9मिलियन किलोमीटर।
- वरुण से दूरी-4.3305 बिलियन किलोमीटर।
- अरुण से दूरी-2.8957बिलियन किलोमीटर।
- Gravity-9.807मी/वर्ग
- अक्ष पर घूर्णन-23 घंटे 56 मिनट।
- सतह का तापमान न्यूनतम– -89.2℃।
- सतह का अधिकतम तापमान– 56℃।
- सतह का माध्यम तापमान-15℃।
- समुंद्री तल से ऊंचाई-8.848किलोमीटर।
- समुंद्री तल से गहराई-11.33किलोमीटर।
पृथ्वी एक ऐसा ग्रह जो हमें खाने –पीने से लेकर हर एक चीजे जो हमारी जरुरत होती है,सब कुछ हमें देती है।हमारे पृथ्वी से सूर्य के बीच इतनी अधिक दुरी है कि प्रकाश को आने में भी 8 मिनट 22 सेकण्ड लग जाता है। यदि हम पृथ्वी को आंतरिक्ष से देखे तो हमारी पृथ्वी एक नीला चमकता हुआ ग्रह दिखाई देगा,यही कारण है कि पृथ्वी को नील ग्रह भी कहा जाता है विश्व भर के वैज्ञानिक हमारे पृथ्वी जैसी और भी ग्रह खोजने में लगे है लेकिन अभी तक ऐसी कोई ग्रह नहीं जो हमारे पृथ्वी जैसी जीवन पनपने में मदद कर सके।आइये जानते है कि हमारी पृथ्वी की उत्पत्ति कब हुई–
पृथ्वी की उत्पत्ति
हमारी पृथ्वी जिसे आज हम नील ग्रह के नाम से जानते है ,आज से 4 अरब पचास करोड़ साल पहले एक लाल रंग का आग का गोला था जिसका तापमान काफी अधिक था लेकिन वर्तमानमें यही पृथ्वी हमारे रहने लायक हो गयी। पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में विभिन्न देश के दार्शनिको और बैज्ञानिको में काफी मतभेद है,इनमे से एक प्रारंभिक तथा लोकप्रिय मत जर्मन दार्शनिक इमैनुअल कांट का है।
सन 1796 में गणितज्ञ लप्प्लेस ने एक संसोधन पेश किया जो की निहारिका परिकल्पना के नाम से जाना जाता है।इस परिकल्पना के अनुसार ग्रहों का निर्माण धीमी गति से घूमते हुए पदार्थो के बादल से हुआ है ,जो की सूर्य की युवा अवस्था से संबद्ध थे।बाद में 1सन 1900 में चेम्बरलेंन और मोल्टन ने कहा कि ब्रह्माण्ड में एक अन्य भर्मण शील तारा सूर्य के नजदीक से गुजरा ,इसके परिणाम स्वरुप तारे के Gravity से सूर्य सतह से सिगार के आकार का कुछ पदार्थ निकलकर अलग हो गया ।
यह तारा जब सूर्य से दूर चला गया तो सूर्य सतह से बहार निकला हुआ यह पदार्थ सूर्य के चारो तरफ घूमने लगा और यही धीरे–धीरे कम हो कर ग्रहो के रूप में परिवर्तित हो गया। पहले सर जेम्स जीन्स और बाद में सर हरोल्ड जेफरी ने इस मत का समर्थन किया ।परन्तु कुछ समय के बाद तर्क सूर्य के साथ एक और साथी तारा होने की बात को माना जाता है।ये तर्क द्वितर्क सिद्धान्त के नाम से भी जाना जाता है।
सन 1950 में रूस के ऑटो शिमिड व् जर्मनी कार्ल वाई जास्कररर ने निहारिका परिकल्पना में कुछ संसोधन किया,जिसके अनुसार सूर्य एक सूर्य निहारिका से घिरा हुआ था नो मुख्यता हायड्रोजन हीलियम और धुल कणों से बनी थी।इन कणों के घर्षण व् टकराने से एक चपटी तस्तरी की आकृति के बादल का निर्माण हुआ और अभिबृद्धि प्रक्रम द्वारा ही ग्रहो का निर्माण हुआ। आधुनिक समय के अनुसार तारो,ग्रहों और अन्य की उत्पत्ति बिग बैंग सिद्धान्त को ही मानते है।
पृथ्वी की आंतरिक संरचना
पृथ्वी के बारे ने काफी लोग अनुमान लगाते है कि पृथ्वी क्रिकेट के गेंद की तरह गोल ठोस होगा य तो अंदर से खोखला होगा,परंतु ऐसा नहीं है पृथ्वी गोल है पर थोड़ी सी चपटी भी है।पृथ्वी पर ढेर सारे खनिज पदार्थ भारी मात्रा में उपलब्ध है ।पृथ्वीपर 75% जल और 25% में जमीन है। पृथ्वी पर जल की भारी मात्रा होने के कारण हमारी पृथ्वी गहरी नीला दिखाई देती है
अगर हम पृथ्वी के आंतरिक भाग की बात करे तो पृथ्वी के आतंरिक भागो को अप्रत्यक्ष प्रमाणों के आधार पर समझा जा सकता है,क्योंकि पृथ्वी के आंतरिक भाग में न तो कोई पहुँच सका है और न तो कोई पहुच सकता है। रूस से कोशिश की थी पर वह सफल न हो सका।।
पृथ्वी की त्रिज्या 6.370 किलो मीटर है।पृथ्वी के आंतरिक परिस्थियों के कारण संभव नहीं है कि कोई पृथ्वी के केंद्र तक पहुच कर उसका निरिक्षण कर सके।
पृथ्वी पर भूकंप के कारण
हम कही बैठे हो य चल रहे हो और अचानक से हमारी धरती हिलने लगे य कम्पन करने लगे तो हम इसी को भूकंप कहते है पर आपने कभी सोचा की आखिर भूकंप आता क्यों है? भूकंप एक प्राकृतिक घटना है ,ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगे उत्पन्न होती है जो सभी दिशाओ में फ़ैल कर भूकंप लाती है। अगर आपको भूकंप के बारे में अधिक जानकारी चाहिए तो आपको हमारे बेबसाइट पर मिल जायेगा।
ज्वालामुखी
क्या आपने कभी ज्वालामुखी के बारे में सुना है ,मुझे मालूम है कि आपने जरूर सुना होगा।ज्वालामुखी वह स्थान है जहाँ से तरल पदार्थ ,राख, चट्टानी पदार्थ,लावा,गैस आदि चीज़े निकल कर धरातल पर पहुचता है।जहाँ भी ज्वालामुखी का विस्फोट होता वहा कुछ किलोमीटर तक सब कुछ नष्ट हो जाता है।
ज्वालामुखी पृथ्वी की आंतरिक सतह गर्म होने की वजह से विस्फोट होता है।ज्वालामुखी के कई प्रकार होते है,जैसे– शील्ड ज्वालामुखी, मिश्रित ज्वालामुखी,शांत ज्वालामुखी इत्यादि।