हम सब पृथ्वी पर रहते हैं। पृथ्वी अब तक का मात्र एकलौता एक ऐसा ग्रह है जिसपर लगभग हमारी सारी जरूरतो के सामान उपलब्ध है। खनिज और शैल उनमें से एक हैं.
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Khanij And Shail |
हम बहुत ही सौभाग्यशाली हैं कि हम पृथ्वी जैसे खूबसूरत ग्रह के निवासी हैं। हमारी पृथ्वी अलग-अलग प्रकार के तत्वों से मिलके बनी है। पृथ्वी के लगभग 75 प्रतिशत भाग पर जल पायी जाती है और 25 प्रतिशत भाग पर भूमि। जिनमे से खनिज और शैल भी है.
खनिज क्या होता है? खनिज कितने प्रकार का होता है?
हमारे पृथ्वी के सम्पूर्ण पर्पटी भाग पर लगभग 98 प्रतिशत भाग आठ प्रकार के तत्वों से मिलकर बना है।
ये आठ प्रकार के तत्व निम्नलिखित है-
1. एलुमिनियम।
2.पौटैशियम।
3.लोहा।
4. ऑक्सीजन।
5.सोडियम।
6. सिलिकॉन।
7. कैल्शियम।
8.मैग्नीशियम।
इसके अलावा कुछ भाग हाइड्रोजन,कार्बन,मैंगनीज,टायटेनियम,निकिल,सल्फर,फास्फोरस तथा अन्य पदार्थो से मिलकर बने हैं।
Table of Contents
खनिज क्या होता है(What is Minerals)
पृथ्वी के पर्पटी पर पाए जाने वाले जितने भी प्रकार के तत्व होते है, सब अलग-अलग न होकर एक साथ आपस में जुड़े होते हैं, तथा तत्व आपस में मिलकर विभिन्न पदार्थो का निर्माण करते हैं, इन पदार्थों को खनिज कहते हैं। हमारे वायुमंडल का निर्माण करने वाले तत्वों की संख्या काफी कम है।
इन तत्वों का आपस में जुड़ना विभिन्न तरीकों से होता है। पृथ्वी पर पाये जाने वाले लगभग 2000 प्रकार के खनिजो को पहचाना जा चुका है तथा उनका नामकरण किया गया है।
खनिज के प्रकार(Types Of Minerals)
पृथ्वी पर दो प्रकार के खनिज पाये जाते हैं-
1. धात्विक खनिज।
2. अधात्विक खनिज।
धात्विक खनिज
इस प्रकार के खनिज पदार्थों को तीन भागों में बांटा गया है-
1. बहुमूल्य धातु।
2.अलौहिक धातु।
3.लौह धातु।
बहुमूल्य धातु- इस प्रकार के धातु सबसे महंगे धातु होते हैं,जैसे- सोना,चाँदी, प्लेटिनम आदि।
अलौहिक धातु- इस प्रकार के धातु बहुमूल्य धातुओं से काफी सस्ते होते हैं। जैसे- सीसा, ताम्र,टिन, जिंक तथा एल्युमिनियम आदि धातु शामिल हैं।
लौह धातु- इस प्रकार के धातु अलौहिक धातुओं से भी सस्ते होते हैं, जैसे- लोहा,स्टील तथा इनमे मिलाई जाने वाली अन्य धातुएँ।
अधात्विक खनिज
अधात्विक खनिजो में धातु के अंश उपस्थित नहीं होते हैं। जैसे-फास्फेट,गंधक,नाइट्रेट आदि। सीमेंट में अधात्विक खनिजो का मिश्रण होता है।
खनिजो की भौतिक विशेषताएँ
1.धारियाँ- जब किसी भी खनिज को पीसा जाता है तो उस खनिज के पाउडर का रंग खनिज के रंग का या अन्य किसी रंग का हो सकता है। मेलाकाइट का रंग हरा होता है
तथा मेलाकाइट पर पाये जाने वाली धारियाँ भी हरी होती है,जबकि फ्लोराइट का रंग बैंगनी या हरा होता है लेकिन इस पर श्वेत धारियाँ पाई जाती हैं।
2.क्रिस्टल का बाहरी रूप– क्रिस्टल का बाहरी रूप अणुओं की आंतरिक व्यवस्था द्वारा तय होती है।
जैसे- अष्टभुजाकार,घनाकार,प्रिज्म,षष्टभुजाकर आदि।
3. चमक– प्रत्येक पदार्थ की अपनी चमक होती है,जैसे-ग्लॉसी,मेटैलिक,रेशमी।
4.विदलन- सापेक्षिक रूप से समतल सतह बनाने के लिए निश्चित दिशा में टूटने की प्रवृत्ति, अणुओं की आंतरिक व्यवस्था कस परिणाम,एक या कई दिशा में एक दूसरे से कोई भी कोण बनाकर टूट सकते हैं।
5. आपेक्षिक भार- वस्तु का आपेक्षिक भार तथा बराबर आयतन के पानी के भार का अनुपात,हवा एवं पानी में वस्तु का भार लेकर इन दोनों के अंतर से हवा में लिए गये भार से भाग दें।
6. पारदर्शिता-
पारदर्शी– प्रकाश की किरणे इस प्रकार आरपार हो जाती है कि वस्तु सीधी देखी जा सकती है।
अपारदर्शी– प्रकाश की किरणें तनिक भी आर-पार नहीं होंगी.
पारभासी– प्रकाश की किरणें आर- पार होती है लेकिन उसके विसरित हो जाने के कारण वस्तु देखी नहीं जा सकती है।
7.विभंजन– अणुओं की आंतरिक व्यवस्था इतनी जटिल होती है की अणुओं का कोई भी तल नहीं होता है, क्रिस्टल विदलन तल के अनुसार नहीं बल्कि अनियमित रूप से टूटता है।
शैल क्या होता है(What Is Shell)
शैल का निर्माण एक या एक से अधिक खनिजो से मिलकर होता है। पृथ्वी की पर्पटी शैलो से मिलकर बनी होती है। शैल की प्रकृति नरम ,कठोर या विभिन्न रंगों की हो सकती है। जैसे- शैलखड़ी नरम है तथा ग्रेनाइट कठोर प्रकृति का है।
गैब्रो काला रंग का तथा क्वार्ट्जइट दूधिया श्वेत रंग का होता है। शैलो में सामान्यता पाये जाने वाले खनिज पदार्थ क्वार्ट्ज तथा फेल्डस्पर है।
शैल कितने प्रकार के होते हैं(How Many Types Of Shell)
शैल विभिन्न प्रकार के होते हैं, जिनको उनकी निर्माण पद्धति के आधार पर तीन समूहों में बांटा गया है-
1.आग्नेय शैल।
2. अवसादी शैल।
3.कायांतरित शैल।
आग्नेय शैल
आग्नेय शब्द लैटिन भाषा के इग्निश शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ अग्नि होता है।
इस प्रकार के शैल का निर्माण पृथ्वी के आंतरिक संरचना भाग के मैग्मा एवं लावा से होता है।
इसको प्राथमिक शैल भी कहते हैं। जब मैग्मा ठंडा होता है जिससे वह घनीभूत हो जाता है और आग्नेय शैल का निर्माण होता है।
जब अपनी उपरगामी गति में मैग्मा ठंडा होकर ठोस में बदल जाता है ,जिससे यही ठोस आग्नेय शैल कहलाता है। इसका वर्गीकरण इसके बनावट के आधार पर किया गया है। आग्नेय शैल की बनावट कणो के आकार तथा व्यवस्था अथवा पदार्थ की भौतिक अवस्था पर निर्भर करती है।
जब पिघले हुए पदार्थ धीरे-धीरे गहराई तक ठण्ड होते हैं तब खनिज के कण पर्याप्त बड़े हो सकते हैं। सतह पर हुई अचानक शीतलता के कारण छोटे एवं चिकने कण बनते हैं। शीतलता की माध्यम परिस्थितियां होने आग्नेय शैल को बनाने वाले कण माध्यम आकार के हो सकते हैं।
गैब्रो,बेसाल्ट,ग्रेनाइट,पैगमैटाइट ज्वालामुखी ब्रेशिया तथा टफ आग्नेय शैलो के कुछ उदहारण है।
अवसादी शैल
अवसादी शब्द का प्रयोग लैटिन भाषा के सेंडीमेंट्स शब्द से हुआ है ,जिसका अर्थ व्यवस्थित होना होता है।पृथ्वी के सतह की शैले अपक्षयकारी कारकों के प्रति अनावृति होती हैं।
जो अलग-अलग आकार के विखंडो में विभाजित होती है। इस प्रकार के उपखंडों का विभिन्न बहिर्जनित कारको के द्वारा संवहन और निक्षेप होता है।
सघनता के कारण ये संचित पदार्थ शैलो में बदल जाते हैं,इस प्रक्रिया को हम शिलीभवन कहते हैं। ज्यादातर अवसादी शैलो में शिलीभवन के पश्चात् भी अपनी विशेषताएँ बनायीं रखती हैं।
निर्माण पद्धति के आधार पर अवसादी शैलो का वर्गीकरण तीन प्रमुख समूहों में बांटा गया है-
1.कार्बनिक रूप से निर्मित शैले– खड़िया,कोयला,गीजराइट चूना पत्थर आदि।
2. रासायनिक रूप से निर्मित शैल– हेलाइट, प्रस्तर,पोटाश,श्रृंग आदि।
3. यांत्रिक रूप से निर्मित शैल- पिंडशिला,बालुकाश्म, शेल,विमृदा आदि।
कायांतरित शैल
कायांतरित का अर्थ स्वरुप में परिवर्तन होता है। कायांतरित शैल का निर्माण दाब, आयतन एवं तापमान में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप होता है। इस प्रकार की शैल दाब, आयतन तथा तापमान में परिवर्तन के द्वारा निर्मित होता है।
जब विवर्तनिक प्रक्रिया के कारण शैले नीचे की ओर बलपूर्वक खिसक जाती हैं तब कायांतरण होता है। कायांतरण वह प्रक्रिया है जिसमे समेकित शैलो में पुनः क्रिस्टलीकरण होता है तथा वास्तविक शैलो में पदार्थ पुनः संगठित हो जाते हैं।
बिना किसी विशेष रासायनिक परिवर्तनों के टूटने एवं पीसने के कारण वास्तविक शैलो में यांत्रिक व्याधान एवं उनका पुनः संगठित होना गति शील कायांतरित कहलाता है।
कायांतरित शैलो को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है-
1. पवित्र शैल।
2. अपवित्र शैल।
शैली चक्र
शैले अपने मूल रूप में ज्यादा समय तक नहीं रह सकते है,क्योंकि इनमें परिवर्तन होता रहता है। शैली चक्र एक बदलती हुई प्रक्रिया होती है जिसमे पुरानी शैले परिवर्तित होकर नयी शैलो का निर्माण करती हैं ।
प्राथमिक शैल आग्नेय शैल है। अवसादी शैल तथा कायांतरित शैल आग्नेय शैल से ही बनते हैं। आग्नेय शैल को कायांतरित शैल में बदला जा सकता है तथा कायांतरित शैल और आग्नेय शैल अवसादी शैल का निर्माण करते हैं।